Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch | झारखण्ड के प्रमुख मंदिर/मस्जिद/चर्च | Famous Temple of Jharkhand

Share on Social Media

Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch | झारखण्ड के प्रमुख मंदिर/मस्जिद/चर्च | Famous Temple of Jharkhand


Famous Temple of Jharkhand : साथियों कई बार परीक्षाओं में झारखण्ड के प्रमुख मंदिरों (Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch ) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं और हम जानकारी नहीं होने के कारण गलत उत्तर देते हैं या तो झारखण्ड के प्रमुख मंदिरों (Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch) से सम्बंधित प्रश्नों को हल न करके छोड़ देते है. ऐसे में हमारी कुछ अंक कम हो जाती है.

झारखण्ड के प्रमुख मंदिर | Jharkhand ke pramukh mandir
झारखण्ड के प्रमुख मंदिर | Famous Temple of Jharkhand

तो आइये आज हमलोग झारखण्ड के प्रमुख मंदिरों (Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch) से सम्बंधित आने वाले सभी सवालों के जबाब यहाँ जानने वाले हैं, अब से कोई भी परीक्षाओं में झारखण्ड के प्रमुख मंदिरों (Jharkhand ke pramukh mandir/masjid/charch) से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएँगे तो आप सभी प्रश्नों को सही जबाब देकर जरुर से आएँगे.

   ज्वाइन Telegram चैनल for Latest Update

Jharkhand ke pramukh mandir (Famous Temple of Jharkhand) :

  1. मंदिर का नाम : वैधनाथ मंदिर (बैजनाथ मंदिर)
    • अवस्थित – देवघर
    • विशेशताएँ –
      • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बैजनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग रावण के द्वारा स्थापित किया गया था.
      • गिध्दौर राजवंश के 10वें राजा पूरणमल द्वारा वर्तमान मंदिर का निर्माण 1514-1515 ई. के बीच करवाया था.
      • यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है.
      • शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में मनोकामना लिंग यहाँ स्थित है.
      • इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग व शक्तिपीठ एक साथ है.
      • इस मंदिर के प्रांगन में कुल 22 मंदिर हैं.
      • यहाँ शिव मंदिर के शिखर पर त्रिशूल के स्थान पर एक पंचशुल स्थापित है. तथा ऐसी विशेषता वाला यह देश का एकमात्र शिव मंदिर है.
      • पुरानों में इस मंदिर को अंतिम संस्कार हेतु उपयुक्त स्थान माना गया है.
  2. मंदिर का नाम :- तपोवन मंदिर
    • अवस्थित – देवघर
    • विशेषता
      • भगवान शिव के इस मंदिर में अनेक गुफाएँ हैं जिसमें ब्रहमचारी लोग निवास करते हैं.
      • मान्यता है कि यहाँ सीता जी ने तपस्या की थी.
  3. मंदिर का नाम :- युगल मंदिर
    • अवस्थित – देवघर
    • विशेषता
      • इसे नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर के निर्माण में रू 9 लाख लागत आई है.
      • मंदिर के निर्माण हेतु रानी चारुशीला ने रू 9 लाख दान दिए थे.
      • इस मंदिर का निर्माण तपस्वी बालानंद ब्रह्मचारी के अनुयायी ने कराया था.
      • इस मंदिर का निर्माण 1936 ई. में शुरू हुआ था यह 1948 ई. तक चला.
      • इस मंदिर की बनावट बेलूर के रामकृष्ण मंदिर की भांति है.
      • इस मंदिर की ऊंचाई 146 फिट है.
  4. मंदिर का नाम :- पथरौला काली मंदिर
    • अवस्थित – देवघर
    • विशेषता
      • इस मंदिर का निर्माण पथरौल राज्य के राजा दिग्विजय सिंह ने कराया था.
      • इस मंदिर में माँ काली की प्रतिमा स्थापित है, जो माँ दक्षिण काली के नाम से भी प्रसिध्द है.
      • दीपावली के अवसर पर यहाँ एक बड़े मेले का आयोजन होता है.
  5. मन्दिर का नाम :- बासुकीनाथ धाम
    • अवस्थित – जरमुंडी (दुमका)
    • विशेषता
      • इसका निर्माण वासकी तांती (हरिजन जाति) ने कराया था.
      • बासुकीनाथ की कथा समुद्र मंथन से जुडी हुई है.
      • समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को मथानी तथा वासुकिनाथ को रस्सी बनाया गया था.
      • यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराणी है तथा शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.
      • इस मंदिर में मनोकामना पपुरा करने हेतु श्रधालुओं द्वारा धरना देने की परम्परा है.
  6. मंदिर का नाम :- मौलिक्षा मंदिर
    • अवस्थित – दुमका
    • विशेषता
      • इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में ननकर राजा बसंत राय द्वारा कराया गया था.
      • इस मंदिर के गर्भ्ह्रिः में माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है, जिसका निर्माण लाल पत्थर से किया गया है.
      • यह प्रतिमा पूर्ण नहीं है, बल्कि केवल मस्तक है. यही कारण है कि इसे मौलाक्षी मंदिर कहा जाता है.
      • मौलाक्षी देवी के दांयी तरफ भैरव की भी प्रतिमा स्थापित है, जो बालुका पत्थर से निर्मित है तथा मौलाक्षी देवी के आगे काले पत्थर से निर्मित शिवलिंग है.
      • ननकर राजा मौलाक्षी देवी (दुर्गा) को अपना कुल देवी मानते थे.
      • यह मंदिर का निर्माण बंगला शैली में किया गया है.
      • यह मंदिर तांत्रिक सिद्धि का केंद्र रहा है.
  7. मंदिर का नाम :- झारखण्ड धाम मंदिर
    • अवस्थित – गिरिडीह
  8. मंदिर का नाम :- माँ योगिनी मंदिर
    • अवस्थित – बाराकोपा पहाड़ी (गोड्डा)
    • विशेषता
      • मान्यता है कि यहाँ माँ सती जी की दाहिनी जांघ गिरी थी जिसकी आकृति प्रस्तर अंश यहाँ स्थापित है.
      • कामख्या मंदिर की ही भांति यहाँ पिंड की पूजा की जाती है तथा इस मंदिर में लाल रंग के वस्त्र चढाने की प्रथा है.
      • इस मंदिर का निर्माण चारुशीला देवी ने कराया था.

Share on Social Media

Leave a Comment

Your email address will not be published.

%d bloggers like this: